इस हाना के माध्यम से बुजुर्गो के साथ कैसे बर्ताव किया जाता, उसे सामने लाया गया है। यह व्यंग के रुप में कहा गया है कि जब पिता जी थे, तब तो उनके साथ बुरी तरह पेश आते थे, उनपर चिल्लाते थे। अब जब वे नहीं रहे, उन्हें गंगा पहुँचाने के लिए व्यवस्था किया जा रहा है। अर्थात पितृभक्त होने का ढोंग या दिखावा किया जा रहा है।