सँस्कृत में क्षर- बून्द बून्द गिरना, टपकना।
सँस्कृत में क्षरन- नपुंसकलिंग- पानी।
इस शब्द से “छरा” शब्द बना है, गली में या आँगन में गोबर पानी को पवित्र करने हेतु डाला जाता है जो बून्द बून्द पड़ता है।
(क्षरणं का भी यही अर्थ होता है)
सँस्कृत में क्षर- बून्द बून्द गिरना, टपकना।
सँस्कृत में क्षरन- नपुंसकलिंग- पानी।
इस शब्द से “छरा” शब्द बना है, गली में या आँगन में गोबर पानी को पवित्र करने हेतु डाला जाता है जो बून्द बून्द पड़ता है।
(क्षरणं का भी यही अर्थ होता है)