लकड़ी का बना हुआ खेल पात्र, इसमें चिचोला (ईमली का बीज) भरकर खेलते हैं। छत्तीसगढ़ के गाँवों में पहले विवाह के दहेज में इसको भी दिया जाता था। यह कलात्मक नक्‍काशी से सजा आकर्षण दिखता है। कहीं-कहीं यह पत्‍थर का भी होता है।

Ghanshyam Sahu नें कहा कि हमर कोती ऎला कसाडी (kasadi) कैथे.
Anil Sharma नें कहा कि बीच म खाली जघा बांचै ओकर बाद के घर के जम्मो चिचोला हर खेलैया के हो जाए तेला कसावड़ी मोड़ना कहें.
Surendra Nishad नें कहा कि हमन भटकउला कहिथन.
सतीश शुक्ला अंबिकापुर नें कहा कि येखर नाम पाली घला के नाम से जानथे।

योगदानकर्ता : अनिल शर्मा

Published by Sanjeev Tiwari

ठेठ छत्तीसगढ़िया, पेशे से वकील, दिल से पत्रकार। छत्तीसगढ़ी भाषा की पहली वेब मैग्‍जीन और न्‍यूज पोर्टल का संपादक। छत्तीसगढ़ की कला, संस्कृति व साहित्य को बूझने के लिए निरंतर प्रयासरत. ..

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