रौं भौं नइये

कुछ भी तैयार नहीं है। इन शब्दों की व्याख्या- संस्कृत में-रवः (हिन्दी में रव) का मतलब होता है आवाज़, ध्वनि, शब्द आदि।
अब भवः/भव को देखिए यह भी सँस्कृत का ही शब्द है, अर्थ होता है-होना या होने की स्थिति। अवधी में कुछ ऐसा बोलते हैं- का भवा, रींवा तरफ भी यही बोलते हैं।कुछ भी तैयार नहीं है। इन शब्दों की व्याख्या- संस्कृत में-रवः (हिन्दी में रव) का मतलब होता है आवाज़, ध्वनि, शब्द आदि।
अब भवः/भव को देखिए यह भी सँस्कृत का ही शब्द है, अर्थ होता है-होना या होने की स्थिति। अवधी में कुछ ऐसा बोलते हैं- का भवा, रींवा तरफ भी यही बोलते हैं।

पूजा, भोजन आदि की तैयारी पूरी नहीं हुई हो/ शुरू ही नहीं हुई हो, तो कोई आपके घर आ जाये और देखे की कोई व्यवस्था ही नहीं है। न ही तैयारी की कोई आवाज़ भी आ रही है, उस समय यह बोला जाता है-
अभी तो कुछु रौं भौं नइये। अर्थात न तो तैयारी की कोई रव(रौं) आ रही है और नही कुछ भौं(भव) हुआ ही है।पूजा, भोजन आदि की तैयारी पूरी नहीं हुई हो/ शुरू ही नहीं हुई हो, तो कोई आपके घर आ जाये और देखे की कोई व्यवस्था ही नहीं है। न ही तैयारी की कोई आवाज़ भी आ रही है, उस समय यह बोला जाता है-
अभी तो कुछु रौं भौं नइये। अर्थात न तो तैयारी की कोई रव(रौं) आ रही है और नही कुछ भौं(भव) हुआ ही है।

Published by Sanjeev Tiwari

ठेठ छत्तीसगढ़िया, पेशे से वकील, दिल से पत्रकार। छत्तीसगढ़ी भाषा की पहली वेब मैग्‍जीन और न्‍यूज पोर्टल का संपादक। छत्तीसगढ़ की कला, संस्कृति व साहित्य को बूझने के लिए निरंतर प्रयासरत. ..

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