संझा के झरी , बिहनियां के झगरा

सुबह अगर झगड़ा शुरु होता है तो वह दिनभर चलता रहता है। और शाम को अगर बारिस शुरु होती है तो रातभर होती रहती है।

Published by Sanjeev Tiwari

ठेठ छत्तीसगढ़िया, पेशे से वकील, दिल से पत्रकार। छत्तीसगढ़ी भाषा की पहली वेब मैग्‍जीन और न्‍यूज पोर्टल का संपादक। छत्तीसगढ़ की कला, संस्कृति व साहित्य को बूझने के लिए निरंतर प्रयासरत. ..

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